अपना आधार (द्वीप) स्वयं होना
🌻धम्म प्रभात🌻 अत्त दीपा अत्तसरणा अनञ्ञसरणा धम्मदीपा धम्मसरणा अपना आधार (द्वीप) स्वयं होना। ऐसा मैंने सुना - एक समय भगवान सावत्थि (श्रावस्ती) में जेतवन में विहार करते थे । तथागत बुद्ध ने भिक्खुओं को संबोधित करते हुए कहा- “ भिक्खुओं ! तुम अपना आधार स्वयं बनो (अत्तदीपा) , अपना शरणस्थल स्वयं बनो (अत्तसरणा), किसी दूसरे की शरण में जाने का प्रयास न करो (अनञ्ञसरणा)। या फिर धम्म ही तुम्हारा आधार है (धम्मदीपा), धम्म ही तुम्हारा शरणस्थल है (धम्मसरणा), इस के अतिरिक्त कोई दूसरा तुम्हारे लिये शरणस्थल नहीं है (अनञ्ञसरणा) । भिक्खुओं ! तुम लोग इस तरह -अत्तदीपानं , -अत्तसरणानं, -अनञ्ञसरणां, -धम्मदीपानं (धर्मद्वीप) एवं -धम्मसरणां (धर्मशरण) होकर साधना करते हुए इस बात की परीक्षा में तत्पर हो जाओ कि- -शोक, -परिदेव, -दु:ख, -दौर्मनस्य एवं -उपायास (पश्...