पाक की सियासी हलचल पर पैनी नजर रखे भारत by Akppin2

पाक की सियासी हलचल पर पैनी नजर रखे भारत

भारत को पाकिस्तान में हो रहे राजनीतिक हलचल पर करीब नजर रखनी चाहिए। पाक फौज जिस तरह हरकत में आई है, उससे पाक पीएम इमरान खान की कुर्सी खतरे में पड़ गई है। यूं तो सत्ता में रहते हुए इमरान खान ने कभी भी भारत से रिश्ते सुधारने और पाक स्थित आतंकवाद के खिलाफ आर-पार का एक्शन लेने का प्रयत्न नहीं किया, इसके बावजूद इमरान खान एक चुनी हुई सरकार के मुखिया हैं। 

विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की हमेशा कोशिश रही है कि पाकिस्तान में चुनी हुई सरकार सत्तासीन रहे। अतीत में पाक में अक्सर सैन्य तख्तापलट होती रही है, लेकिन जब से पाक फौज के प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा बने हैं, सेना के सत्ता संभालने की प्रवृति पर विराम लगा है। विदेश व रक्षा विभाग में सीधी दखल देने वाली पाक फौज की वर्तमान कोशिश सीधे सत्ता में न रहकर पसंदीदा सरकार बनवाने की रही है।

इमरान खान के पीएम बनने के पीछे भी पाक फौज पूरी शिद्दत से थी। लेकिन अभी हाल में पाकिस्तान में जिस तरह इमरान खान के शासनकाल में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चरमराई है, सरकार पर कर्ज बढ़े हैं, वह दिवालिया होने के कगार पर है, पाक में हिंसा व आतंकी हमले बढ़े हैं और इमरान के खिलाफ उनकी पार्टी के ही सांसद मुखर हुए हैं, उनके सहयोगी दल जेयूआई-एफ से दूरी बढ़ी है और फौज व सरकार के बीच दरार आई है, उससे इमरान का सत्ता में बने रहना मुश्किल है। पाकिस्तान फौज के मुखिया जनरल बाजवा की तरफ से इमरान को 22 और 23 मार्च को प्रस्तावित ओआईसी की बैठक के बाद कुर्सी छोड़ने के लिए संदेश मिल चुका है। 

पाक मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, इमरान को माइनस एक फार्मूला दिया गया है, जिसमें उन्हें पद छोड़कर अपनी ही पार्टी के किसी नेता को पीएम बनाना होगा। सहजता से इमरान के लिए ऐसा करना मुश्किल होगा। इमरान हाल में दो बार भारत की स्वतंत्र विदेश नीति की तारीफ कर चुके हैं, शायद उनकी इच्छा हो कि भारत उनकी अप्रत्यक्ष मदद करे। हालांकि भारत की विदेश नीति स्वतंत्र है, भारत दूसरे देशों के अंदरूनी मामले में दखल नहीं देता है। भारत ने यह भी देखा है कि इमरान सरकार ने कभी भी पाक स्थित आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई नहीं की, जबकि पाक प्रायोजित आतंकवाद का सबसे अधिक शिकार भारत होता है। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को भी जिस तरह मान्यता देने व उसके साथ संबंध कायम करने में पाक ने जल्दबाजी दिखाई, वह भी पाक की आतंकवाद परस्त नीति का ही प्रमाण है। 

पाक के पीएम इमरान खान ने कभी भी अतीत से सबक नहीं लिया। पाक कभी ब्रिटेन, कभी अमेरिका तो कभी चीन की गोद में खेलता रहा है और भारत के खिलाफ आतंकी साजिशें रचता रहा है। इमरान ने नया   पाकिस्तान बनाने के सपने लेकर सत्ता में आए थे, लेकिन वे पाक को आतंकवाद के पालक - पोषक की सरकारी नीति से मुक्त नहीं करा पाए। उल्टे उनकी सरकार में पाकिस्तान खस्ताहाल होता गया।

अल्पमत में होने के चलते इमरान खान रहते हैं या जाते हैं, यह दो - चार दिनों में साफ हो जाएगा, लेकिन पाक में सत्ता के स्तर पर पाक फौज की हलचल पर भारत को पैनी नजर रखनी चाहिए। चूंकि पाक फौज व पाक खुफिया एजेंसी का अस्तित्व ही भारत विरोध व आतंकवाद को शह देने पर टिका है, इसलिए भारत को पाक के नए सियासी परिवर्तन पर कूटनीतिक नजर रखनी होगी। भारत पाकिस्तान के साथ हमेशा शांतिपूर्ण रिश्ते का पक्षधर रहा है, लेकिन पाकिस्तान ही दुश्मन निभाता रहा है। 

- AKP_PIN2 😎

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